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विविध भजन

Tere naam ka sumiran karke mere man me sukh bhar aaya,तेरे नाम का सुमिरन करके मेरे मन में सुख भर आया

तेरे नाम का सुमिरन करके मेरे मन में सुख भर आया।

तेरे नाम का सुमिरन करके मेरे मन में सुख भर आया। तेरी कृपा को मैंने पाया तेरी दया को मैंने पाया।



दुनिया की ठोकर खाके जब हुआ कभी बेसहारा। न पाकर अपना कोई जब मैंने तुझे पुकारा। हे नाथ मेरे सिर ऊपर तूने अमृत रस बरसाया। तेरी कृपा को मैंने पाया तेरी दया को मैंने पाया।तेरे नाम का सुमिरन करके मेरे मन में सुख भर आया। तेरी कृपा को मैंने पाया तेरी दया को मैंने पाया।



तू संग में था नित मेरे ये नैना देख न पाये। चंचल माया के रंग में ये नयन रहे उलझाए। जितनी भी बार गिरा हूँ तूने पग पग मुझे उठाया। तेरी कृपा को मैंने पाया तेरी दया को मैंने पाया।तेरे नाम का सुमिरन करके मेरे मन में सुख भर आया। तेरी कृपा को मैंने पाया तेरी दया को मैंने पाया।



जब सागर की लहरों ने भटकाई मेरी नइया। तट छूना भी मुश्किल था नहीं दीखे कोई खैवइया। तू लहर का रूप पहनकर मेरी नाव किनारे लाया। तेरी कृपा को मैंने पाया तेरी दया को मैंने पाया।तेरे नाम का सुमिरन करके मेरे मन में सुख भर आया। तेरी कृपा को मैंने पाया तेरी दया को मैंने पाया।



हर तरफ तुम्हीं हो मेरे हर तरफ़ तेरा उजियारा। निर्लेप रमइया मेरे हर रूप तुम्हीं ने धारा। हो शरण तेरी हे दाता तेरा तुझको ही चढ़ाया। तेरी कृपा को मैंने पाया तेरी दया को मैंने पाया।तेरे नाम का सुमिरन करके मेरे मन में सुख भर आया। तेरी कृपा को मैंने पाया तेरी दया को मैंने पाया।

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