पिंजरे की मैना अब तो सुमर ले हरि नाम। ओ मनकी मैंना अब तो सुमर ले हरि नाम।पिंजरे की मैना अब तो सुमर ले हरि नाम।
पांच तत्व का बना है पिंजरा उस में रहती मैंना। पल पल में यह होत पुराना घटे बड़े दिन रैना।पिंजरे की मैना अब तो सुमर ले हरि नाम।ओ मनकी मैंना अब तो सुमर ले हरि नाम।
काल शीश पर खड़ा है तेरे धोखे में मत रहना। ओम नाम का चुगले दाना मान गुरु का कहना।पिंजरे की मैना अब तो सुमर ले हरि नाम।ओ मनकी मैंना अब तो सुमर ले हरि नाम।
गई बीत विषयों में उमरिया जब तक कुछ नहीं कीना। करता रहा सदा धन संचय सीखा नहीं कुछ देना। पिंजरे की मैना अब तो सुमर ले हरि नाम।ओ मनकी मैंना अब तो सुमर ले हरि नाम।
त्याग मोह पिंजरे का भाव है मान हमारा कहना। कितने प्राणी गए छोडकर देख खोलकर नैना। पिंजरे की मैना अब तो सुमर ले हरि नाम।ओ मनकी मैंना अब तो सुमर ले हरि नाम।
मैं मैं करके समय बिताया रहा काल का भय ना। कहत कबीर सुनो भाई साधो सजग जीव तुम रहना।पिंजरे की मैना अब तो सुमर ले हरि नाम।ओ मनकी मैंना अब तो सुमर ले हरि नाम।
पिंजरे की मैना अब तो सुमर ले हरि नाम। ओ मनकी मैंना अब तो सुमर ले हरि नाम।पिंजरे की मैना अब तो सुमर ले हरि नाम।ओ मनकी मैंना अब तो सुमर ले हरि नाम।