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विविध भजन

Ram Milan ro ghano re umao nit uth jou batadiya,राम मिलण रो घणो रे उमावो नित उठ जोऊ बाटड़िया,

राम मिलण रो घणो रे उमावो, नित उठ जोऊ बाटड़िया

राम मिलण रो घणो रे उमावो, नित उठ जोऊ बाटड़िया, राम मिलन रो घणो रे उमावो ।।



दरश बिना मोहे कछु ना सुहावे, क न पड़त है आंखड़िया, तड़पत तड़पत बहु दिन बीते, पड़ी बिरह की फासड़िया, राम मिलन रो घणो रे उमावो ।।

नैण दुःखी दरसण को तरसे, नाभी न बैठे सांसड़िया, रात दिवस हिय आरत मेरो, कब हरि राखे पासड़िया, राम मिलन रो घणो रे उमावो ।।



दरश बिना मोहे कछु ना सुहावे, क न पड़त है रातड़ियां, अब तो बेग दया करो प्यारा, मैं हूँ थारी दासड़िया, राम मिलन रो घणो रे उमावो ।।



लगी लगन छुटण की नाहीं, अब क्यूँ कीजे आटड़िया, मीरा के प्रभु कब मिलोगे, पूरो मन की आसड़िया, राम मिलन रो घणो रे उमावो ।।

राम मिलण रो घणो रे उमावो, नित उठ जोऊ बाटड़िया, राम मिलन रो घणो रे उमावो ।।

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