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विविध भजन

Char khut me firo bhalyayi dil ka bhed nahi dena re,चार खुट में फिरो भल्याई, दिल का भेद नहीं देणा रे

चार खुट में फिरो भल्याई, दिल का भेद नहीं देणा रे

चार खुट में फिरो भल्याई, दिल का भेद नहीं देणा रे, कर गुजरान गरीबी में रेणा, ये सतगुरु जी रा केणा रे ।।



गगन मंडल में गाय बियाई, धरती में महिडो जमाया रे, माखन माखन साधु खाया, छाछ सकल बरताणा रे, कर गुजरान गरीबी में रेणा, ये सतगुरु जी रा केणा रे ।।

मरदा सगं में करो दोस्ती, क्या त्रिया सगं रेणा रे, पल में राजी पल में बेराजी, पल पल नार पराई रे, कर गुजरान गरीबी में रेणा, सतगुरु जी राणा रे ।।



नैण बाद समझाऊँ रे जिव न, परघर पावं न देणा रे, इण पाणी से रतन निपजे, हेल्ला नहीं गवाणा रे, कर गुजरान गरीबी में रेणा, ये सतगुरु जी रा केणा रे ।।



फिर रया प्याला प्रेम का, प्यासा हो सो पिणारे, गुरु शरणे जति गोरख बोल्या, गगंन मण्डल घर करणा रे,

कर गुजरान गरीबी में रेणा,ये सतगुरु जी राणा र
फिर रया प्याला प्रेम का, प्यासा हो सो पिणा रे। गुरु शरणे जति गोरख बोल्या, गगंन मण्डल घर करणा रे, कर गुजरान गरीबी में रेणा, ये सतगुरु जी राणा रे ।



चार खुट मे फिरो भल्याई, दिल का भेद नहीं देणा रे, कर गुजरान गरीबी में रेणा, ये सतगुरु जी रा केणा रे ।।

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