तर्ज़ :- अफसाना लिख रही हूँ
राखी को है त्यौहार- सांवल वीरा आजा रे-2
बहना खडी उडीके, तू राखी बंधाजा रे-2 ।।
द्रुपद सुता से एक दिन राखी बंधायो थो-2
आकर सभा के बीच मे साडी बढायो थो-2 ,
महारी पग पग लज्जा राखिये, बिगडी बनाजा रे,
बहना खडी उडीके, तू राखी बंधाजा रे-2 ।।
नहीं माँ को जायो वीर थो, कोई नानी बाई को-2,
तू भात भरयो को फरज निभायो, सागी भाई को,
तेरे रंग में रंगी एक चुनरी, महाने उडाजा रे-
बहना खडी उडीके, तू राखी बंधाजा रे-2 ।।
तेरे कोमल पूंचिये पर कान्हा(बाबा), राखी बांधुगी,
निरखूंगी तेरे रूप ने जद टीको काढूंगी-2,
आंखया से जद आंखया मिले, थोडो मुस्काजा रे,
बहना खडी उडीके, तू राखी बंधाजा रे-2 ।।
घर विद की बात भी तेरे से करनी है,
‘बिन्नू’ कहवे करले कलेवो, तैयार छननी है-2,
लाडू को देऊं गासियो, मेरे हाथ से खाजा रे,
बहना खड़ी उडीके, तू राखी बंधाजा रे-2 ।।
राखी को है त्यौहार- सांवल वीरा आजा रे-2
बहना खडी उडीके, तू राखी बंधाजा रे-2 ।।