भूलो मती रे बंदा भूलो मती, माता पिता रो एहसान रे नादान, मनवा भूलो मती ।।
महीना थारो गरभ उठायो, जन्म दियो प्यारी गोद में खिलायो, आला सु उठाई थाने सुखा में सुलायो, झूला में झूलायो गणों लाड लडायो, भूलो मति वे बाता भूलो मति, थाने दिलाई रे पहचान रे नादान, मनवा भूलो मती ।।
थारी खुशी रा खातिर करी वे मजुरी, शिक्षा पड़ावा ताई करी भागा दौड़ी, गाजा बाजा सु थारे लाया रे बहू भी, वे दुख देख्यो थारी आशा करी पूरी, देवों मती रे छेठी देवों मती, हो करके थे जोध जवान रे नादान,पना भयो पनी ।।
अब तो लाडी री बाता प्यारी प्यारी लागे, माता पिता री बाता खारी खारी लागे, अब क्यों बुढ़ापा माही दूर-दूर भागे, भुल्यो पेला री बाता प्रेम क्यों ना जागे, देवो मती रे छेठी देवो मती, थोड़ा दिनारा मेहमान रे नादान, मनवा भूलो मती ।।
माता पिता की सेवा तीर्थ कहावे, आशीर्वाद से चारों धाम हो जावे, दुख जो दियो वो कदीं सुख नहीं पावे, जैसी करेला बंदा वेसो फल पावे, भुलो मती रे बाता भुलो मती, नानू पंडित दिज्यो ध्यान रे नादान, मनवा भूलो मती ।।
भूलो मती रे बंदा भूलो मती, माता पिता से एहसान रे नादान, मनवा भूलो मती ।।