है वो भी जरूरी पर, सब कुछ नहीं है पैसा, मकसद ऐ जिंदगी का, क्यों रख लिया है पैसा, है वो भी जरूरी पर, सब कुछ नहीं हैं पैसा।।
पैसे से सिकंदर ने, क्या क्या खरीद लाया, आखरी घड़ी में, पैसा ना काम आया, दो सांस भी मिल जाए, होता नहीं है ऐसा, है वो भी जरूरी पर, सब कुछ नहीं हैं पैसा।।
पैसों से कीमती तू, बिस्तर खरीद लाया, लाया तू ठाठ घर में, पर नींद क्यों गवाया, है नींद कीमती पर, समझा नहीं तू ऐसा, है वो भी जरूरी पर, सब कुछ नहीं हैं पैसा।।
एक हार की कमी थी, बारात घर पे आयी, बेटी न बनी दुल्हन, बारात लौट आयी, पैसे की है सगाई, आया जमाना ऐसा, है वो भी जरूरी पर, सब कुछ नहीं हैं पैसा।।
पैसा जो पास आया, अभिमान लेके आया, उसको भी भूल बैठा, जिसने तुझे बनाया, कुछ पा लिया तो कहता, कोई ना मेरे जैसा, है वो भी जरूरी पर, सब कुछ नहीं हैं पैसा।।
सब जानते हो एक दिन, सब छोड़ के है जाना, तन भी ना साथ जाए, छूटेगा ये खजाना, फिर किसलिए फड़ी तू फिर किस लिए ‘फणि’ तू, करता है पैसा पैसा, है वो भी जरूरी पर, सब कुछ नहीं हैं पैसा।।
है वो भी जरूरी पर, सब कुछ नहीं है पैसा, मकसद ऐ जिंदगी का, क्यों रख लिया है पैसा, है वो भी जरूरी पर, सब कुछ नहीं हैं पैसा।।