सुन लो भैया कान खोल के, भक्त हमारे प्राण, कह रहे भुजा उठा भगवान, कह रहें भुजा उठा भगवान।
भक्त कहे मुझे अपना स्वामी, पर मैं भक्तन दास, प्रेम की डोर में बंधा सदा मैं, रहूं भक्तन के पास, भक्त बिना नहीं मेरा गुजारा, भक्त बिना नहीं मेरा गुजारा, भक्त मेरी पहचान, कह रहें भुजा उठा भगवान, कह रहें भुजा उठा भगवान।
भक्त करे सदा मेरी भक्ति, मैं भक्तन को ध्याऊँ, विविध रूप धरु भक्तन के हित, सेवा का सुख पाऊं, परिवर्तित कर डालूं विधि के, परिवर्तित कर डालूं विधि के, लिखे हुए मैं विधान, कह रहें भुजा उठा भगवान, कह रहें भुजा उठा भगवान।
कभी किसी का बनूँ सारथि, किसी की चक्की चलाई, किसी के घर जा करूँ चाकरी, बनूँ कभी मैं नाई, किसी के घर जा छिलके खाऊं, किसी के घर जा छिलके खाऊं, त्याग सकल पकवान, कह रहें भुजा उठा भगवान, कह रहें भुजा उठा भगवान।
भाव भरी भक्तन की भक्ति, प्रभु के हृदय समाई, प्रेम बिना रीझे नहीं सुनलो, नटवर कृष्ण कन्हाई, पागल ‘चित्र विचित्र’ भी हो गए, पागल ‘चित्र विचित्र’ भी हो गए, आपके कृपानिधान, कह रहें भुजा उठा भगवान,
सुन लो भैया कान खोल के, भक्त हमारे प्राण, कह रहे भुजा उठा भगवान, कह रहें भुजा उठा भगवान।