तर्ज – जहाँ ले चलोगे वहीँ मैं चलूंगा
मोहे ना बिसारो हे श्यामा प्यारी, दे दो सहारो हे श्यामा प्यारी, मोहे ना बिसारों हे श्यामा प्यारी ।
मैं जानता हूँ की नहीं तेरे काबिल, गुनाहों से भरपूर है ये मेरा दिल, मुझको सवारों हे श्यामा प्यारी, मोहे ना बिसारों हे श्यामा प्यारी ।
मैं हूँ पतित तुम हो पतित पावन, बैठा हूँ दर तेरे फैला के दामन, कृपा कर निहारों हे श्यामा प्यारी, मोहे ना बिसारों हे श्यामा प्यारी।
बिच भवर में अटक रहा हूँ, जनम जनम से मैं भटक रहा हूँ, दे दो किनारो हे श्यामा प्यारी, मोहे ना बिसारों हे श्यामा प्यारी।
‘चित्र विचित्र’ के जीवन की डोरी, कर कमलों में थामे बैठी हो किशोरी, भक्ति रंग डारो हे श्यामा प्यारी, मोहे ना बिसारों हे श्यामा प्यारी।
मोहे ना बिसारो हे श्यामा प्यारी, दे दो सहारो हे श्यामा प्यारी, मोहे ना बिसारों हे श्यामा प्यारी।