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विविध भजन

Maine sapno dekho raat bhauli bhus dho rahi bandh,मैंने सपनोे देखो रात भाएली,भुस ढो रही बांध गठरिया में,

मैंने सपनोे देखो रात भाएली,
भुस ढो रही बांध गठरिया में,

मैंने सपनोे देखो रात भाएली,
भुस ढो रही बांध गठरिया में,
वृंदावन छुपो चुनरिया में….



ज्यादा लाऊं तो बोझ लगे,
थोड़ा लाऊं तो शर्म लगे,
मैं कह रही मेरे भरतार,
बोंगो आंगन में गढ़वा दीजो,
मेरा फैशन अजब बना दीजो,
मैंने सपनों देखो रात….



लहंगा पहनो तो बोझ लगे,
साड़ी पहरू तो शर्म लगे,
मैं कह रही मेरे भरतार,
बजरिया आंगन में लगवा दी जो,
मेरा फैशन अजब बना दियो,
मैंने सपनों देखो रात….



दुधवा पीने की होस लगे,
सानी करने में शर्म लगे,
मैं कह रही मेरे भरतार,
डेरी आंगन में खुलवा दीजो,
मेरा फैशन अजब बना दीजो,
मैंने सपनों देखो रात….



लड्डू खाओ तो मिठो लागे,
टिक्की खाऊं तो मिर्च लगे,
मैं कह रही मेरे भरतार,
के रबड़ी आंगन में मंगवा दीजो,
मेरा फैशन अजब बना दीजो,
मैंने सपने देखो रात…..

मैंने सपनोे देखो रात भाएली,
भुस ढो रही बांध गठरिया में,
वृंदावन छुपो चुनरिया में….

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