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विविध भजन

Moh pan kacha mhara satguru ji sacha,मोह पण काचा, म्हारा सतगुरु जी साचा,

मोह पण काचा, म्हारा सतगुरु जी साचा,

मोह पण काचा, म्हारा सतगुरु जी साचा, भई कृपा जद, संतो में लिया वासा, निर्भय होय हरि रा गुण गाया, ज्यारी बेल आलमराजा आया, जद म्हारी बेल निकलंक धणी आया ।।



अनेक संतो रे मैं तो, शरणो में आया, गुरु जी आगे, शीश नमाया, निर्भय होय हरी रा गुण गाया, ज्यारी बेल आलमराजा आया, जद म्हारी बेल निकलंक धणी आया ।।

प्रेम रा प्याला म्हाने, सतगुरु जी पाया, जन्म मरण का, बंधन छोड़ाया, निर्भय होय हरी रा गुण गाया, ज्यारी बेल आलमराजा आया, जद म्हारी बेल निकलंक धणी आया ।।



धाया जके, अमरफल पाया, ध्रुव अवसल ने, अखी ठहराया, निर्भय होय हरी रा गुण गाया, ज्यारी बेल आलमराजा आया, जद म्हारी बेल निकलंक धणी आया।।

दयानाथ गुरु जी, पूरा पाया, बोल्या प्राग स्वामी, शरणो में आया, निर्भय होय हरी रा गुण गाया, ज्यारी बेल आलमराजा आया, जद म्हारी बेल निकलंक धणी आया ।।



मोह पण काचा, म्हारा सतगुरु जी साचा, भई कृपा जद, संतो में लिया वासा, निर्भय होय हरि रा गुण गाया, ज्यारी बेल आलमराजा आया, जद म्हारी बेल निकलंक धणी आया।।

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