तर्ज-बाईसा रा बीरा जयपुर जैजो
जंभेश्वर बीरा रोटु में आवजो जी, बाई उमा जोवे बाटडली थारी ।।
जंभेश्वर बीरा ताना सब मारे जी, थे बेगा आवजो झुर रही बहनड़ली थारी ।।
मायड़ रै जायो बीरो नहीं है जी, विरह बहना री सुणलो अखियां तरसे है म्हारी।।
बाबोसा म्हारा भोला भाला है जी, कांई मायड़ पुरसी भांत री आश आ म्हारी ।।
आवो आवो प्रभुजी थे बेगा आवजो जी, आयां ही थारे म्हारो कारज सर सी।।
आकर के सांवरिये भांत भरायो जी, रवि सोढ़ा चरणां में महिमा गावे है थारी ।।
जंभेश्वर बीरा रोटु में आवजो जी, बाई उमा जोवे बाटडली थारी ।।