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विविध भजन

Satguru nawal bramh ho puran vishwabis,सतगुरु नवल ब्रह्म हो पूरण विश्वाबिश

सतगुरु नवल ब्रह्म हो पूरण विश्वाबिश

सतगुरु नवल ब्रह्म हो पूरण विश्वाबिश
भवदास पर कृपा करो मोक्ष करो बगशिश।



अवगुण गारा की विनती तुम सुनो गरीब नवाज़
मैं तो पूत कपूत हूँ , आप पिता को लाज
कब से खड़ा में तेरे द्वार ,गुरु जी आस लगाए।



भव सागर में नैया है मेरी , पार होवे जब दया हो तेरी।
हाथ पकड़ के उबार ,गुरु जी आस लगाए।



तेरे द्वारे जो भी आवे , तूने उसकी बिगड़ी बनायी
सुनील मेरी भी पुकार , गुरुजी आस लगाए।



तेरे दर का मैं हूँ भिखारी ,भर दो अब तो झोली हमारी
अवगुण अनंत अपार , गुरुजी आस लगाए।



नवल साहेब से विनती है मेरी भवदास हैं चरणों में तेरी
रखो लाज सरताज , गुरुजी आस लगाए।

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