आता भी अकेला है और, जाता भी अकेला है, जिंदगी ने संग तेरे, जिंदगी ने संग तेरे, खेल कैसा खेला है, आता भी अकेला हैं और, जाता भी अकेला है।
जिंदगी के मेले में, गम भी ख़ुशी भी है, हद से दुखी है कोई, हद से सुखी भी है, पूछता है हर कोई, पूछता है हर कोई, कैसा ये झमेला है, आता भी अकेला हैं और, जाता भी अकेला है
जोड़े है खजाने फिर भी, बुझती ना प्यास है, खुशियों के सौदागर की, हर आत्मा उदास है, जा रहा है दुनिया से, जा रहा है दुनिया से, पास में ना ढेला है, आता भी अकेला हैं और, जाता भी अकेला है ।
काल का नगाड़ा बाजे, छोड़ झूठी शान को, कुछ पल बचे है पगले, जप हरि नाम को, इन वीरान राहों पर, इन वीरान राहों पर, हर कोई अकेला है, आता भी अकेला हैं और, जाता भी अकेला है।
अपने गुनाहों की, गठरी तू खोल दे,
आत्मा जो कहती है, वो ही सच बोल दे, गफलत को छोड़ ‘कमल’, गफलत को छोड़ ‘कमल’, जाने की बेला है,आता भी अकेला हैं और, जाता भी अकेला है।
जिंदगी ने संग तेरे,
आता भी अकेला है और, जाता भी अकेला है, आता भी अकेला हैं और, जाता भी अकेला है ।
जिंदगी ने संग तेरे, खेल कैसा खेला है,