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krishna bhajan lyrics कृष्ण भजन लिरिक्स

Vrindavan ki in kunj galin me khushbu bihari ji ki aati hai,वृँदावन की इन कुँज गलिन में,ख़ुशबू बिहारी जी की आती है,krishna bhajan

वृँदावन की इन कुँज गलिन में,
ख़ुशबू बिहारी जी की आती है,

वृंदावन की इन कुंज गलिन में,
वृँदावन की इन कुँज गलिन में,
ख़ुशबू बिहारी जी की आती है,
मन में समा के, मुझें मद होश बना के,
दर पे बिहारी के ले जाती है,
वृँदावन की इन कुंज गलिन में,
खुशबू बिहारी जी की आती है,



ऐसी सुगंध छाई है चहुं ओरी,
रसीको को खींच लेती बांध प्रेम डोरी,
जग को भुलाए यह दिल में समाए,
प्रेमियों के मन को यह भाती है,
वृँदावन की इन कुंज गलिन में,
खुशबू बिहारी जी की आती है,

धन्य वृंदावन में बहे पुरवइया,
लता पता महके फूल और कलियां,
पुष्प पुष्प में हर कली कली में,
दिव्य सुगंध भर आती है,
वृँदावन की इन कुंज गलीन में,
खुशबू बिहारी जी की आती है,



एक बार आकर यहां करले विचरण,
कण-कण सुगंधित हैं वातावरण,
खुद महकोगे सबको मेहकाओगे,
खुशबू जीवन महकाती है,
वृँदावन की इन कुंज गलीन में,
खुशबू बिहारी जी की आती है,



जब से लगा है वृंदावन का चस्का,
बन गए पागल पीके प्याला प्रेम रस का,
सुन लो मित्र कहे ये “चित्र विचित्र”,
ये जीवन पवित्र बनाती है,

वृंदावन की इन कुंज गलिन में,
वृँदावन की इन कुँज गलिन में,
ख़ुशबू बिहारी जी की आती है,
मन में समा के, मुझें मद होश बना के,
दर पे बिहारी के ले जाती है,
वृँदावन की इन कुंज गलिन में,
खुशबू बिहारी जी की आती है,

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