सार शब्द ले बाचीयो,
मानोनी इतबारा, ए संसार सब फंद हैं, ब्रह्म ने जाळ पसारा, सार शब्द ले ऊबरो ।।
अखेह पुरुष निज वृक्ष हैं, निरंजन डाला, त्रि देवा शाखा भरे, पते सब संसारा, सार शब्द ले ऊबरों ।।
ब्रह्मा जी वेद को सही किया, शिव जी जोग पसारा, विष्णु जी माया उतप्त करे, उरले का व्यवहारा, सार शब्द ले ऊबरों ।।
ज्योति स्वरूपी हाकमा, ज्याने अमल पसारा, कर्म की बंशी बजाय ने, पकड़ लिया जुग सारा, सार शब्द ले ऊबरों ।।
तीन लोक दस मूंदशा, जम रोकिया द्वारा, पीर भये सब जीवड़ा, पिये विष का चारा, सार शब्द ले ऊबरों ।।
अमल मिटाऊँ काँच का, करदूँ भव से पारा, केवे कबीर सा मैं अमर करूँ, निज होई हमारा, केवे कबीर सा मैं अमर करूँ, परखो टकसारा, सार शब्द ले ऊबरों ।।
सार शब्द ले बाचीयो,
मानोनी इतबारा, ए संसार सब फंद हैं, ब्रह्म ने जाळ पसारा, सार शब्द ले ऊबरो ।।