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विविध भजन

Kaha se aaya kaha jaoge khabar karo apne tan ki,कहाँ से आया कहाँ जाओगेखबर करो अपने तन की

कहाँ से आया कहाँ जाओगे
खबर करो अपने तन की

कहाँ से आया कहाँ जाओगे
खबर करो अपने तन की
कोई सदगुरु मिले तो भेद बतावें
खुल जावे अंतर खिड़की।।



हिन्दू मुस्लिम दोनों भुलाने
खटपट मांय रिया अटकी
जोगी जंगम शेख सवेरा
लालच मांय रिया भटकी।।



कहाँ से आया कहाँ जाओगे
खबर करो अपने तन की
कोई सदगुरु मिले तो भेद बतावें
खुल जावे अंतर खिड़की
खुल जावे अंतर घट की ।।



काज़ी बैठा कुरान बांचे
ज़मीन जोर वो करकट की
हर दम साहेब नहीं पहचाना
पकड़ा मुर्गी ले पटकी।।



कहाँ से आया कहाँ जाओगे
खबर करो अपने तन की
कोई सदगुरु मिले तो भेद बतावें
खुल जावे अंतर खिड़की
खुल जावे अंतर घट की ।।



बहार बैठा ध्यान लगावे
भीतर सुरता रही अटकी
बहार बंदा, भीतर गन्दा
मन मैल मछली गटकी।।



माला मुद्रा तिलक छापा
तीरथ बरत में रिया भटकी
गावे बजावे लोक रिझावे
खबर नहीं अपने तन की।।



बिना विवेक से गीता बांचे
चेतन को लगी नहीं चटकी
कहें कबीर सुनो भाई साधो
आवागमन में रिया भटकी।।



कहाँ से आया कहाँ जाओगे
खबर करो अपने तन की
कोई सदगुरु मिले तो भेद बतावें
खुल जावे अंतर खिड़की
खुल जावे अंतर घट की ।।

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