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विविध भजन

Jiw tu mat karna fikri,जीव तू मत करना फिकरी ,

जीव तू मत करना फिकरी ,

फिकर की फाकी करे , उसका नाम फकीर ।

जीव तू मत करना फिकरी ,
जीव तू मत करना फिकरी ।
भाग लिखी सो होय रहेगी ,
भली बुरी सगरी ॥



तप करके हिरणाकुश आयो ,
वर पायो जबरी ।
लौह लकड़ से मर्यो नहीं वो ,
मर्यो मौत नखरी ॥
जीव तू मत करना फिकरी ,
जीव तू मत करना फिकरी ।
भाग लिखी सो होय रहेगी ,
भली बुरी सगरी ॥



सहस पुत्र राजा सागर के ,
तप कीनो अकरी ।
थारी मती ने थू ही जाणे ,
आग मिली न लकड़ी ॥
जीव तू मत करना फिकरी ,
जीव तू मत करना फिकरी ।
भाग लिखी सो होय रहेगी ,
भली बुरी सगरी ॥



तीन लोक री माता सीता ,
रावण जाय हरी ।
जब लक्ष्मण ने लंका घेरी ,
लंका गई बिखरी ॥
जीव तू मत करना फिकरी ,
जीव तू मत करना फिकरी ।
भाग लिखी सो होय रहेगी ,
भली बुरी सगरी ॥

आठ पहर सायब को रटना ,
ना करणा जिकरी ।
कहत कबीर सुणोभाई साधो !
रहणा बे फिकरी ॥
जीव तू मत करना फिकरी ,
जीव तू मत करना फिकरी ।
भाग लिखी सो होय रहेगी ,
भली बुरी सगरी ॥

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