तर्ज- ये तो प्रेम की बात है उधो
सांवरे के दीवानो की महफ़िल, आज फिर से सजाई गई है, सारे भक्तों ने मिलकर के देखो, लौ प्रभु से लगाई हुई है, साँवरे के दीवानो की महफ़िल, आज फिर से सजाई गई है।
ऊँचे आसन पे बाबा विराजे, उनकी आँखों से करुणा बरसती, इनके भक्तों की आँखें ना पूछो, चरणों में बिछाई हुई है, साँवरे के दीवानो की महफ़िल आज फिर से सजाई गई है।
भक्ति की रात का है ये आलम, जो जहाँ है वहीं पे मगन है, हर दिशा से है अमृत बरसता, यहाँ जन्नत बसाई गई है,हर दिशा से है अमृत बरसता, यहाँ जन्नत बसाई गई है, साँवरे के दीवानो की महफ़िल आज फिर से सजाई गई है।
तन महका है मन भी है महका, ये प्रभु की कृपा का असर है, फुल भक्ति का मन में खिला है, यहाँ खुशबू उड़ाई गई है, साँवरे के दीवानो की महफ़िल आज फिर से सजाई गई है।
गम के मारे यहाँ जो भी आए, जिनका कोई ना जग में ठिकाना, जिनकी रूठी है तक़दीर उनसे, उनकी किस्मत बनाई गई है, साँवरे के दीवानो की महफ़िल आज फिर से सजाई गई है।
सांवरे के दीवानो की महफ़िल, आज फिर से सजाई गई है, सारे भक्तों ने मिलकर के देखो, लौ प्रभु से लगाई हुई है, साँवरे के दीवानो की महफ़िल, आज फिर से सजाई गई है।