तर्ज आने से उसके
मालपूरा तेरा सच्चा है धाम, सुनके कुशल गुरु तेरा मैं नाम, दर्शन पाने को आया दर पे तेरे, शीश झुकाने को आया दर पे तेरे।।
जैतसिरी के प्यारे, अपने भक्तो को परचा दिखाए, भर दिए वो झोली, कभी दर पे तुम्हारे फैलाए, खाली है ये दामन, आज भराने को आया दर पे तेरे, शीश झुकाने को आया दर पे तेरे।।
दर पे सर झुकाने,सोमवार पुनम, तेरे दर्शन की महिमा है भारी, आते लाखो ही नर और नारी, मैं भी तेरे चरणों में, पुष्प चढाने को आया दर पे तेरे, शीश झुकाने को आया दर पे तेरे।।
क्या बताऊँ दादा,तेरे दर्शन का मैं हूँ दिवाना, आश कर दो पूरी, दर से यूं ही न मुझको लौटाना, आये है दादा गुरु, आज मनाने को आया दर पे तेरे, शीश झुकाने को आया दर पे तेरे।।
मालपूरा तेरा सच्चा है धाम, सुनके कुशल गुरु तेरा मैं नाम, दर्शन पाने को आया दर पे तेरे, शीश झुकाने को आया दर पे तेरे।।