तर्ज,ये गोटे दार लहंगा
भूखे हैं हम सांवरे तेरे ही प्यार के,
अपना लो हमको बाबा थोड़ा निहार के…..
कसम तुम्हारी खाते हैं छोड़ेंगे ना ये दामन,
छोड़ेंगे ना ये दामन,
तेरे द्वार की धूल है लगती हमको इतनी पावन,
हमको इतनी पावन,
सुनके आये हैं चर्चे तेरे दीदार के,
अपना लो हमको बाबा थोड़ा निहार के……
भूखे हैं हम सांवरे तेरे ही प्यार के,
अपना लो हमको बाबा थोड़ा निहार के…..
दूर दूर से चलके तेरी श्याम नगरिया,
तेरी श्याम नगरिया,
जहाँ पे फूलों में सजकर बैठा तू सेठ सांवरिया,
ये खाटू की नगरिया,
कहते हैं ये ही सारे आते जो हार के,
अपना लो हमको बाबा थोड़ा निहार के……
भूखे हैं हम सांवरे तेरे ही प्यार के,
अपना लो हमको बाबा थोड़ा निहार के…..
पंजाबी गुजराती सिंधी सब हैं तेरे पुजारी,
सब हैं तेरे पुजारी,
खड़े हैं इक लाइन में सारे लेकर इच्छा भारी,
कर कर के तैयारी सारी,
वापस ना जाएँ कुछ ये आवे विचार के,
अपना लो हमको बाबा थोड़ा निहार के……
भूखे हैं हम सांवरे तेरे ही प्यार के,
अपना लो हमको बाबा थोड़ा निहार के…..
करता पूरी सबकी कामना खाली कोई ना जाता,
हर दिल धीरज पाता,
एक बार जो आता तेरा दीवाना बन जाता,
जोड़ के तुमसे नाता,
जो ना आ पाते बाबा रहते मन मार के,
अपना लो हमको बाबा थोड़ा निहार के……
भूखे हैं हम सांवरे तेरे ही प्यार के,
अपना लो हमको बाबा थोड़ा निहार के…..