तर्ज,ज्योत से ज्योत जलाते चलो
श्रद्धा से कोई बुलाता नहीं। फिर कहते श्याम मेरा आता नहीं। फिर कहते मुरली वाला आता नहीं।
कर्मा ने बुलाया मैं दौड़ा दौड़ा आया। उसने अपने हाथों से खिचड़ा खिलाया। कर्मा जैसा खिचड़ा खिलाता नहीं।फिर कहते श्याम मेरा आता नहीं। फिर कहते मुरली वाला आता नहीं।
श्रद्धा से कोई बुलाता नहीं। फिर कहते श्याम मेरा आता नहीं। फिर कहते मुरली वाला आता नहीं।
शबरी ने बुलाया मैं दौड़ा दौड़ा आया। उसके जूठे बेरों का भोग भी लगाया। खट्टे मीठे बेर कोई खिलाता नहीं। फिर कहते श्याम मेरा आता नहीं। फिर कहते मुरली वाला आता नहीं।
श्रद्धा से कोई बुलाता नहीं। फिर कहते श्याम मेरा आता नहीं। फिर कहते मुरली वाला आता नहीं।
नरसी ने बुलाया मैं दौड़ा दौड़ा आया। बनकर के भाति उसका भात भी भर आया। नरसी सा विश्वास कोई जताता नहीं। फिर कहते श्याम मेरा आता नहीं। फिर कहते मुरली वाला आता नहीं।
श्रद्धा से कोई बुलाता नहीं। फिर कहते श्याम मेरा आता नहीं। फिर कहते मुरली वाला आता नहीं।
आलू सिंह ने बुलाया मैं दौड़ा दौड़ा आया। झूम-झूम भजनों में अमृत वर्षाया। भाव से भजन कोई सुनाता नहीं। फिर कहते श्याम मेरा आता नहीं। फिर कहते मुरली वाला आता नहीं।
श्रद्धा से कोई बुलाता नहीं। फिर कहते श्याम मेरा आता नहीं। फिर कहते मुरली वाला आता नहीं।