तर्ज मेरा आपकी कृपा से
तेरे बिना कन्हैया, कुछ भी ना जिंदगी में, सारे जहाँ के सुख है, बस तेरी बंदगी में, तेरे बिना कन्हैया, कुछ भी ना जिंदगी में।
मुझ दीन पर तुम्हारी,जब से हुई दया है,
सुख की सुंगंध से ये, जीवन महक गया है,
गम के उड़े अँधेरे,करुणा की रौशनी में,
तेरे बिना कन्हैया, कुछ भी ना जिंदगी में।
जिस पे किया भरोसा, उसने ही दिल दुखाया, तेरे सिवा कन्हैया, नहीं काम कोई आया, मनमीत पाया मैंने, बस तेरी दोस्ती में, तेरे बिना कन्हैया, कुछ भी ना जिंदगी में।
जिसने हमें बनाकर, सौपा है ये जमाना, शर्मिन्दगी ही होगी, अब उसको भूल जाना, भगवान दिल में ना हो, तो क्या है आदमी में, तेरे बिना कन्हैया, कुछ भी ना जिंदगी में।
तुमने रखा है जैसा, वैसा ही रहता आया, अन्न जल मुझे दिया जो, बस वो ही पिया खाया, राजी तेरी रजा में, खुश हूँ तेरी ख़ुशी में, तेरे बिना कन्हैया, कुछ भी ना जिंदगी में।
नश्वर है शानो शौकत, नश्वर है ये जमाना, जो अजर अमर सदा है, उस रब से दिल लगाना, मन को लगा ‘गजेसिंह, ईश्वर की आशिकी में। तेरे बिना कन्हैया, कुछ भी ना जिंदगी में।
तेरे बिना कन्हैया, कुछ भी ना जिंदगी में सारे जहाँ के सुख है, बस तेरी बंदगी में, तेरे बिना कन्हैया, कुछ भी ना जिंदगी में।