हाँ ऐ सुरता सांवरियो दिलदार, पीड़ा हारी मेट सी मेरी मान, पीड़ा थारी मेटसी बाबो श्याम, हाँ ए सुरता नैणां सू पीव निहार, पीड़ा थारी मेट सी मेरी मान, पीडा थारी मेट सी बाबो श्याम ।।
मनमोहन मन में बसा, तो वेसु कर ले प्रीत, वेसु बड़ो ना पायसी, अरे बावळी मीत, हां ऐ सुरतां सोवणं में कांई सार, पीड़ा थारी मेट सी मेरी मान, पीडा थारी मेट सी बाबो श्याम ।।
हेत हरि से की लगा, जै चावे आराम,
मंजिल तेरी दूर है, तो यो थगणां को गांव, हां ऐ सुरता जीवन मरण सुधार, पीड़ा थारी मेट सी मेरी मान, पीडा थारी मेट सी बाबो श्याम ।।
मुरख को कै बिगड़े,
ले ले शरणों श्याम को, तो मत ना देवे बौत, समझदार की मौत, हां ऐ सुरतां कर ले सांवरिये तू प्यार, पीड़ा थारी मेट सी मेरी मान, पीडा थारी मेट सी बाबो श्याम ।।
मान मान हट क्यों करें, हे सुरतां नादान, ‘श्याम बहादुर’ श्याम ने, बेगी सी ले जाणं हां, ऐ सुरतां हो जा जरा होशियार, पीड़ा थारी मेट सी मेरी मान, पीडा थारी मेट सी बाबो श्याम ।।
हाँ ऐ सुरता सांवरियो दिलदार, पीड़ा हारी मेट सी मेरी मान, पीड़ा थारी मेटसी बाबो श्याम, हाँ ए सुरता नैणां सू पीव निहार, पीड़ा थारी मेट सी मेरी मान, पीडा थारी मेट सी बाबो श्याम ।।