शुभ अवसर आया है, क्या आनंद छाया है, कुंडलपुर में त्रिशला माता ने, ललना जाया है ।।
जब जन्म लिया तीर्थंकर ने, तब तीन लोक हर्षाये, क्या नर-नारी क्या मूक पशु, सब देव हैं मंगल गाये, यंग घड़ी अविस्मरणीय बड़ी, हैं जग-उद्धारक आये, सौभाग्य हमारा अनुपम है, प्रभु चरण है हमने पाए, जग में ये दूत अहिंसा का,
महावीर कहाया है, शुभ अवसर आया हैं, क्या आनंद छाया है ।।
भटके मानव को वीर प्रभु ने, सत्य धर्म सिखलाया, तुम जियो सभी को जीने दो, स्वर्णिम उपदेश सुनाया, हिंसा में धर्म कदापि नहीं, सबको ये भेद बताया, दुख मे डूबे संसारी को, मुक्ति का मार्ग दिखाया, ये पावन गीत अहिंसा का, दुनियाँ ने गाया है,
शुभ अवसर आया हैं, क्या आनंद छाया है ।।
शुभ अवसर आया है, क्या आनंद छाया है, कुंडलपुर में त्रिशला माता ने, ललना जाया है।।