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विविध भजन

Parnari ki prit kare nangata chode dhade,परनारी की प्रीत करे, नंगटा चोड़े धाड़े,

परनारी की प्रीत करे, नंगटा चोड़े धाड़े,

परनारी की प्रीत करे, नंगटा चोड़े धाड़े, खुद का घर को खोज गमावे, जड़ा मूल से पाड़े।।



जोर जवानी सब खो बैठे, तन मन धन की हानि, एसो मूर्ख कैसे समझे, समझे उसकी कहानी।।

बिना कमाई पेसो कैसे आवे, कोन करावे तेरी शादी, हिम्मत हर बेठ गयो भांदू, खोई पिता की गादी।।



पांच पंचा में कैसे बोले, कलंक लगायो भारी, भरी सभा मे जुता खावे, नही छुड़ावे घर नारी ।।



मात पिता को नाम लज्जावे, जन्म लेर पछतावे, साधु संत को केणो न माने, गापल गोता खावे।



मात पिता मर जावे जद, जमी बेच कर डाले, केवे हंसराम पुत्र नही दुश्मन, बिना मोत का मारे।।

परनारी की प्रीत करे, नंगटा चोड़े धाड़े, खुद का घर को खोज गमावे, जड़ा मूल से पाड़े।।

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