तर्ज – ओ साँवरे मुझे तेरी जरुरत है
हारे का है तू ही सहारा, बाबा लखदातार,
हार के बाबा आया हूँ, मैं तेरे दरबार, ओ सांवरे बना लो ना सेवादार, ओ साँवरे बना लो ना सेवादार ।।
राहों में तेरी बाबा, पलकें बिछाई हैं,
फूलों से मैंने अपनी, कुटिया सजाई है, लीले की तू कर असवारी, ‘तू’ दर्श दिखा एक बार, ओ साँवरे बना लो ना सेवादार,
ओ साँवरे बना लो ना सेवादार ।।
आँख से आंसू बरसे, जैसे बादल बरसे रे, आजा मेरे सांवरिया, क्यों तू देर लगाए रे, तुझपे है विश्वास मेरा, श्याम धणी सरकार, ओ साँवरे बना लो ना सेवादार, ओ साँवरे बना लो ना सेवादार ।।
मैंने सुना सांवरिया, यारी खूब निभाता है, पकडे जिसका हाथ उसे, दुःख छू कभी नहीं पाता है, ‘राही’ और ‘मनोज’ श्याम का, मिलके करे सत्कार, ओ साँवरे बना लो ना सेवादार, ओ साँवरे बना लो ना सेवादार ।।
हारे का है तू ही सहारा,
बाबा लखदातार, हार के बाबा आया हूँ, मैं तेरे दरबार, ओ सांवरे बना लो ना सेवादार, ओ साँवरे बना लो ना सेवादार ।।
हारे का है तू ही सहारा, बाबा लखदातार,
हार के बाबा आया हूँ, मैं तेरे दरबार, ओ सांवरे बना लो ना सेवादार, ओ साँवरे बना लो ना सेवादार ।।