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विविध भजन

Hari har ek hai dono na ye kam hai na wo kam hai,हरी हर एक है दोनों न ये कम है न वो कम है,

हरी हर एक है दोनों
न ये कम है न वो कम है।

हरी हर एक है दोनों
न ये कम है न वो कम है

वो रहते हैं हिमालय में
वो रहते है क्षीरसागर में
दोनों रहते ससुर घर है
न वो कम है न वो कम है
हरी हर एक है दोनों …

हरी हर एक है दोनों
न ये कम है न वो कम है।


जटा में इनके गंगा है
चरण में उनके बहती है
दोनों ही पाप नाशक है
न ये कम है न वो कम है
हरी हर एक है दोनों …

हरी हर एक है दोनों
न ये कम है न वो कम है।


गले में नाग इनके है
वो शेषशय्या पे सोते हैं
दोनों नागों से खेलत हैं
न ये कम है न वो कम है
हरी हर एक है दोनों …

हरी हर एक है दोनों
न ये कम है न वो कम है।


लगाते ये वभुती हैं
वो चन्दन लेप लगाते हैं
दोनों ही मस्त रहते हैं
न ये कम है न वो कम है
हरी हर एक है दोनों …

हरी हर एक है दोनों
न ये कम है न वो कम है।


ये पीते भंग का प्याला
वो पीते प्रेम का प्याला
दोनों ही नशे में रहते हैं
न ये कम है न वो कम है
हरी हर एक है दोनों …

हरी हर एक है दोनों
न ये कम है न वो कम है।


इन्हें कहते उभापति हैं
उन्हें कहते रमापति हैं
दोनों नारी के वश में हैं
न ये कम हैं न वो कम है
हरी हर एक है दोनों ...

हरी हर एक है दोनों
न ये कम है न वो कम है।

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