मन नेकी करले, दो दिन का मेहमान,
मन नेकी करले, दो दिन का मेहमान।।
मात पिता तेरा कुटम्ब कबीला ,
दो दिन का रल मिल का मेला,
अंत समय उठ चले अकेला ,तज माया मंडान।।
मन नेकी करले, दो दिन का मेहमान,
मन नेकी करले, दो दिन का मेहमान।।
कहासे आया कहा जायेगा ,तन छुटे तब कहा समायेगा
आखिर तुझको कोंन कहेगा गुरु बिन आत्म ज्ञान ,
मन नेकी करले, दो दिन का मेहमान,
मन नेकी करले, दो दिन का मेहमान।।
कोंन तुमारा सच्चा साईं , जुटी है ये सकल सगाई
चलने से पहले सोचरे भाई। कहा करेगा विश्राम।
मन नेकी करले, दो दिन का मेहमान,
मन नेकी करले, दो दिन का मेहमान।।
रहट माल पनघट जो भरिता ,आवत जात भरे करे रीता
जुगन जुगन तू मरता जिता, करवा लेरे कल्याण।
मन नेकी करले, दो दिन का मेहमान,
मन नेकी करले, दो दिन का मेहमान।।
लख चौरासी की सह त्रासा ,ऊंच नीच घर लेता बासा
कह कबीर सब मिटाउ रासा , कर मेरी पहचान।।
मन नेकी करले, दो दिन का मेहमान,
मन नेकी करले, दो दिन का मेहमान।।