Categories
विविध भजन

Bina mathle na nikli ratan heera,बिना मथले न निकली रतन हीरा

बिना मथले न निकली रतन हीरा।

बिना मथले न निकली रतन हीरा

ध्रुव जी मथले प्रह्लाद जी मथले
नारद जी मथले बजाय विना,
बिना मथले न निकली रतन हीरा।

काठ के मथनियाँ से दहिया मथाला,
ज्ञान के मथनियाँ चलेला धीरा,
बिना मथले न निकली रतन हीरा।

कहत कबीर सुन ए भाई साधो,
ए जीवन के मिट्टी अनमोल हीरा,
बिना मथले न निकली रतन हीरा।

Leave a comment