तर्ज – तुमसा कोई प्यारा कोई
तेरा रहमो करम, बाबोसा कैसे भूलेंगे हम, बाबोसा तुमपे किया है, ये जीवन अर्पण। बाबोसा मेरे दिल का, अरमान यही है। बाबोसा तेरा जग में कोई, सानी नही है ।।
एक तुम हो मेरे पास, दूजी चाह नही है, तुमसा कोई दाता, कोई दानी नही है,
हाथों की लकीरों में लिखा, नाम तुम्हारा, जन्मों जनम का बाबोसा, ये साथ हमारा। अब न कोई फिकर है, न कोई गम है, विशवास है बाबोसा।विशवास है बाबोसा, मेरे संग जो तुम हो। मेरे संग जो तुम हो, छुटे ये सारी दुनिया, परवाह नही है,
स्वार्थ भरी दुनिया,हुए अपने पराये,
जितना उठु में उतना ही,वो मुझको गिराये,
माँ छगनी का दुलारा, मेरे पास में होगा,
मुझे दुनिया के दुख दर्द का,अहसास न होगा,
अहसास न होगा,दिलबर’ तेरी भक्ति के सिवा,
राह नही है,
कोई चाह नही है, तुमसा कोई दाता,
कला’ को तेरे सिवा, बाबोसा तेरा जग में कोई, सानी नही है ।।
कोई दानी नही है,
तेरा रहमो करम, बाबोसा कैसे भूलेंगे हम, बाबोसा तुमपे किया है, ये जीवन अर्पण। बाबोसा मेरे दिल का, अरमान यही है। बाबोसा तेरा जग में कोई, सानी नही है ।।