तर्ज, झूठ बोले कौवा काटे
राम बुलावा आवे एक दिन उस बुलावे से डरियो,
आगे मरजी आपकी भैया के सुमिरन करियो ना करियो।।
लाख चौरासी भोग के योनि मानव चोला मिलता है,
मानव चोला मिलता है मानव चोला मिलता है,
हरी कृपा से जीवन का ये फूल सुहाना खिलता है,
फूल सुहाना खिलता है फूल सुहाना खिलता है,
बेधडे का मोल है भाई भव सागर से तरियो,
आगे मरजी आपकी भैया के सुमिरण करियो ना करियो।।
मात पिता और भाई बंधू, जीते जी के साथी हैं,
जीते जी के साथी हैं जीते जी के साथी हैं,
अंत समय सब आँख दिखाएं तेरे नहीं हिमायती हैं,
तेरे नहीं हिमायती हैं तेरे नहीं हिमायती हैं,
इनके वास में सोच ले खुद कहे कितना भी मरियो।।
आगे मरजी आपकी भैया के सुमिरण करियो ना करियो,
आगे मरजी आपकी भैया के सुमिरण करियो ना करियो।।
अब भी समय है सम्भल जाओ वरना फिर पछताओगे,
वरना फिर पछताओगे वरना फिर पछताओगे,
यही साथ में जाएगा जो सुनों दान कर जाओगे,
सुनों दान कर जाओगे सुनों दान कर जाओगे,
ये संसार तो है मतलब का अपनी करनी खुद भरियो,
आगे मरजी आपकी भैया के सुमिरण करियो ना करियो,
राम बुलावा आवे एक दिन उस बुलावे से डरियो,
आगे मरजी आपकी भैया के सुमिरण करियो ना करियो,