तर्ज,दुनिया बनाने वाले
चालो जी चालो भक्तों, ग्यारस की रात है आई, खाटू में बैठा है कन्हाई, चलो खाटु में बैठा है कन्हाई।
–
ग्यारस में भक्तों ने अर्ज़ी लगाई। सारी सारी रात जागे कृष्ण कन्हाई। खाटू में ग्यारस को होती सुनाई। खाटू में ग्यारस को होती सुनाई।पापों की प्राणो से होती विदाई।पग पग पर कीर्तन होते, बाबा से प्रीत लगाई, खाटु में बैठा है कन्हाई,
चलो खाटु में बैठा है कन्हाई।।
मंदिर में बैठे बैठे नज़रें है सब पे, भक्तों की आँखों में लाखों हैं सपने, अर्ज़ी लगाके भक्तों नज़रें मिला लो, अर्ज़ी लगाके भक्तों नज़रें मिला लो, बाबा के दर पे यहाँ झोली फैला लो, बोले ना बोले प्रेमी, हारे को जीत दिलाई, खाटु में बैठा है कन्हाई, चलो खाटु में बैठा है कन्हाई ||
तेरह सीढ़ी जो चढ़ता मिलता उसी को, मोरछड़ी का झाड़ा लगता सभी को, कलयुग के स्वामी हैं ये बाबा हमारे, कलयुग के स्वामी हैं ये बाबा हमारे, भक्तों की जीवन नैया इनके सहारे, कर लो जी अब तो भक्ति, ‘पंकज’ की आँखें भर आई, खाटु में बैठा है कन्हाई, चलो खाटु में बैठा है कन्हाई।।
चालो जी चालो भक्तों, ग्यारस की रात है आई, खाटू में बैठा है कन्हाई, चलो खाटु में बैठा है कन्हाई।।