काहे काया का करता गुमान रे, सुबह शाम जपो राम जपो राम।।
हरि चरणों से प्रीत लगा के, जीवन सफल बना अपना। रहा हरि से सदा अनजान रे, सुबह शाम जपो राम जपो राम ।।
खेलों में सब उम्र गंवा दी, राम भजन ना किया तूने। किया माया का तूने अभिमान रे, सुबह शाम जपो राम जपो राम ।।
पूर्व जनम के पुण्य के कारण, यह मानव तन पाया है। काहे भुला है तू हरि नाम रे, सुबह शाम जपो राम जपो राम ।।
हरि भक्ति के अमृत की जो, एक बूंद भी तू पीले। पुरे होंगे तेरे अरमान रे, सुबह शाम जपो राम जपो राम ।।
काहे काया का करता गुमान रे, सुबह शाम जपो राम जपो राम ।।