काया नही तेरी नही तेरी
मत कर मेरी मेरी।
ए तो दो दिन कि जिन्दगानी
जैसा पत्थर उपर पानी
ए तो होवेगी कुरबानी
जैसा रङ्ग तरङ्ग मिलावे।
एह तो पलक पिछे उड जावे
अन्त्य कोइ काम नही आवे
सुन बात कहु पर्मानि
वहाँ कि क्य करता गुमानी।
तुम तो बडे हो बेइमानी
कह त कबिरा सुन नर ज्ञानी
यह सीखत जद भिमानी
तेरे को बात कही समझानि
काया नही तेरी नही तेरी
काया नही तेरी नही तेरी
मत कर मेरी मेरी।