मार लगाऊंगी शरे बाजार लगाऊंगी। जो भाभी बोल के रंग लगाया, तो गूलचा चार लगाऊंगी।
भाभी हो भाभी सुन मेरी भाभी बोलकर तुम बतलाए। अरे घूंघट खोल कर बात सुनूं तो, रंग बदल कर दिखाय।🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺अरे हरकत ऐंठ अकड़ वाली को सुधार दिखाऊंगी।जो भाभी बोल के रंग लगाया, तो गूलचा चार लगाऊंगी।
मार लगाऊंगी शरे बाजार लगाऊंगी। जो भाभी बोल के रंग लगाया, तो गूलचा चार लगाऊंगी।
मनमानी सब खेल है तेरे मनमाने ही इरादे। एसो लठ्ठ बजे होली के सुन वृज के शहजादे। 🌺🌺अरे गाल पकड़ यशोदा रानी के द्वार नचाऊंगी।जो भाभी बोल के रंग लगाया, तो गूलचा चार लगाऊंगी।
मार लगाऊंगी शरे बाजार लगाऊंगी। जो भाभी बोल के रंग लगाया, तो गूलचा चार लगाऊंगी।
सब रंग मोपे डारे पर क्यों श्याम रंग ना डारे। अरे गोपाली तेरी बाट निहारे ओ पागल के प्यारे।🌺🌺 अरे अब की करी ठिठोली तोहे मार भगाऊंगी।जो भाभी बोल के रंग लगाया, तो गूलचा चार लगाऊंगी।
मार लगाऊंगी शरे बाजार लगाऊंगी। जो भाभी बोल के रंग लगाया, तो गूलचा चार लगाऊंगी।