अरे जैसे करले देह वीरान, काऊ दिन रज में रज मिल जाए।रज में रज मिल जाए काऊ दिन धोखे में आ जाए।अरे जैसे करले देह वीरान, काऊ दिन रज में रज मिल जाए।
सब से लड़ कर चले अकड़ कर बहुत रहा घबराए। पानी में से उठे बबूला पवन चले घुल जाए।अरे जैसे करले देह वीरान, काऊ दिन रज में रज मिल जाए।
अरे जैसे करले देह वीरान, काऊ दिन रज में रज मिल जाए।रज में रज मिल जाए काऊ दिन धोखे में आ जाए।अरे जैसे करले देह वीरान, काऊ दिन रज में रज मिल जाए।
ऊंचे नीचे महल बनाए ऑडी नीम लगाए। चिड़िया का सा रैन बसेरा, भोर भई उड़ जाए।
अरे जैसे करले देह वीरान, काऊ दिन रज में रज मिल जाए।रज में रज मिल जाए काऊ दिन धोखे में आ जाए।अरे जैसे करले देह वीरान, काऊ दिन रज में रज मिल जाए।
अब तो सोच समझ अज्ञानी मैं समझाऊं तोये। मदन मोहन का सुमिरन करले सहज मुक्ति मिल जाए।
अरे जैसे करले देह वीरान, काऊ दिन रज में रज मिल जाए।रज में रज मिल जाए काऊ दिन धोखे में आ जाए।अरे जैसे करले देह वीरान, काऊ दिन रज में रज मिल जाए।
क्या लेकर के आया रे बंदे क्या लेकर के जाए। मुठी बांधे आया रे बंदे हाथ पसारे जाय।
अरे जैसे करले देह वीरान, काऊ दिन रज में रज मिल जाए।रज में रज मिल जाए काऊ दिन धोखे में आ जाए।अरे जैसे करले देह वीरान, काऊ दिन रज में रज मिल जाए।
कोडी कोडी माया जोड़ी जोड़ यहीं रख जाए। छूटे प्राण निकल गए बंदे, यहीं धरी रह जाए।
अरे जैसे करले देह वीरान, काऊ दिन रज में रज मिल जाए।रज में रज मिल जाए काऊ दिन धोखे में आ जाए।अरे जैसे करले देह वीरान, काऊ दिन रज में रज मिल जाए।
जो कछु करना होय रे बंदे करले सोच विचार। जब परवाना आए राम का, कुछ करने ना पाए।
अरे जैसे करले देह वीरान, काऊ दिन रज में रज मिल जाए।रज में रज मिल जाए काऊ दिन धोखे में आ जाए।अरे जैसे करले देह वीरान, काऊ दिन रज में रज मिल जाए।
भाई बंधु कोई न संगाती मतलब का संसार। कोई ना देगा साथ रे बंदे कोई ना आवे काम।
अरे जैसे करले देह वीरान, काऊ दिन रज में रज मिल जाए।रज में रज मिल जाए काऊ दिन धोखे में आ जाए।अरे जैसे करले देह वीरान, काऊ दिन रज में रज मिल जाए।