अरी होली में हो गया झगड़ा, सखियों ने मोहन पकडा।
धावा बोल दिया गिरधारी
नन्द गाँव के ग्वाले भारी।तक-तक मार रहे पिचकारी।
आँख बचाकर कुछ सखियों ने, झट से मोहन पकड़ा, अरी होली में ——–
सखियों के संग भानुदुलारी
ले गुलाल की मुट्ठी भारी
मार रहीं हो गई अँधियारी
दीखे कुछ नहीं तब भी, सखियों ने मोहन को पकड़ा, अरी होली में ——–
सखा-भेष सखियों ने धारा
सब ने मिल के बादल फाड़ा
जाय अचानक फन्दा डाला
छैला को कस कर जकड़ा, सखियों ने मोहन पकड़ा, अरी होली में ——–
अरी होली में हो गया झगड़ा, सखियों ने मोहन पकडा।
धावा बोल दिया गिरधारी
नन्द गाँव के ग्वाले भारी।तक-तक मार रहे पिचकारी।