तर्ज,होली के दिन दिल मिल जाते है
आई रे आई रे होली आई रे आई रे होली आई रे भक्तों की टोली। रंग और गुलाल लिए।
केसर भरे यह मटके मंगाए, सांवरे को रंग में डूबाये।
होली के दिन मेरे सांवरिया क्यों पर्दे में तुम छुप जाते हो। होली का रसिया तूं सांवरा, फिर रंगों से क्यों घबराता है।
आई रे आई रे होली आई रे आई रे होली आई रे भक्तों की टोली। रंग और गुलाल लिए।
खाटू नगरी की गलियों मे, भक्तों का शोर है। होली खेलेंगे सांवरिया संग कान्हा किस और है।ढूंढो ढूंढो वो कहां है।।ढूंढो ढूंढो वो कहां है।
होली के दिन मेरे सांवरिया क्यों पर्दे में तुम छुप जाते हो। होली का रसिया तूं सांवरा, फिर रंगों से क्यों घबराता है।
देखो मंदिर में छुप के बैठे हैं आओ पकड़े वहां। केसर पिचकारी भर मिली मारेंगे,वो मिल जाए जहां।देखो मंदिर आ गया,देखो मंदिर आ गया,
होली के दिन मेरे सांवरिया क्यों पर्दे में तुम छुप जाते हो। होली का रसिया तूं सांवरा, फिर रंगों से क्यों घबराता है।
आई रे आई रे होली आई रे आई रे होली आई रे भक्तों की टोली। रंग और गुलाल लिए।
मंदिर खुला तो कान्हा ने पर्दा हंस के सरका लिया। अपना केसरिया मुखड़ा बाबा ने सब को दिखला दिया। अपने रंग में रंग लिया है, अपने रंग में रंग लिया है।।
आई रे आई रे होली आई रे आई रे होली आई रे भक्तों की टोली