बजरंगी मेरी सुन लो ये विनती, एक बार बाबा घर मेरे आओ।
ओ सुना है मेरा घर मेरा आंगन, आकर उसे तुम पावन बनाओ।बजरंगी मेरी सुन लो ये विनती, एक बार बाबा घर मेरे आओ।
ना फूटी है कौड़ी ना घर में है दाना। मेरे बजरंगी तूने क्यों यह नहीं जाना। भक्तों की बाबा पल में सुने हो, आकर की मेरी भी बिगड़ी बनाओ।
बजरंगी मेरी सुन लो ये विनती, एक बार बाबा घर मेरे आओ।
ना कोई है आसन ना ऐसा कोई आंगन। जो तुम आओ बाबा तुमको मैं बैठाऊं। दिल के सिवा कुछ साफ नहीं है दिल को ही अपना मंदिर बनाऊं।
बजरंगी मेरी सुन लो ये विनती, एक बार बाबा घर मेरे आओ।
ना तुम सा है कोई दानी ना तुम सा ज्ञानी। यह दुनिया तुम्हारे बाबा नाम की दीवानी। भक्त तुम्हारा मैं भी हूं सच्चा, आ करके मुझको दरस तो कराओ।
बजरंगी मेरी सुन लो ये विनती, एक बार बाबा घर मेरे आओ।
बजरंगी मेरी सुन लो ये विनती, एक बार बाबा घर मेरे आओ।