तर्ज,जब कोई बात बिगड़ जाए
ना कोई काम बिगड़ पाया ना कोई मुश्किल का साया ,
जबसे थामा तेरा हाथ ओ मेरे श्याम,
जहाँ देखूं जिधर देखूं मुझे बस तू ही नज़र आया ,
बस रखना सर पर हाथ ओ मेरे श्याम………,
ज़माने भर ने ठुकराया कोई अपना ना पास आया ,
झूठे रिश्ते झूठे नाते कैसी है तेरी माया ,
जबसे नाम तेरा गाय जीवन में हर सुख आया ,
बस रहना यूँ ही साथ ओ मेरे श्याम………,
हाज़िरी इक पल की लेता गुज़ारा जीवन भर देता,
ऐसा मालिक जगत में तो हमने नहीं है देखा,
समर्पण भाव जो लाया श्याम का सेवक कहलाया ,
हारे का देता साथ ये मेरा श्याम …………,
संकट जब मुझपे आया अँधेरा जमकर के छाया ,
निराशा हाथ लगी सबसे तब तुझको आज़माया ,
सवेरा प्यार का लाया हर उलझन को सुलझाया ,
और पकड़ा मेरा हाथ साथ ओ मेरे श्याम………,
ना कोई शक अब है आता ना कोई शिकवा भरमाता ,
चरण चाकर अनिल तेरा हर दम बस है जाता,
तेरा एहसान जो पाया तेरे गुणगान की माया,
अब गुज़रे यूँ ही दिन रात साथ ओ मेरे श्याम………,
जहाँ देखूं जिधर देखूं मुझे बस तू ही नज़र आया ,
बस रखना सर पर हाथ ओ मेरे श्याम………,