ये रे मनवा दो दिन की जिंदगानी थारी मत कर मान गुमान, थोड़ा रट ले हरि को नाम।
ये प्राणी इस जग में नहीं कोई बढ़ो है, समय बड़ा बलवान, पल में छूट जावे है प्राण।
ये रे मनवा माया सागे जानी नहीं, नहीं कुटुंब परिवार, इतरो क्यों तूं करे गुमान।
ये प्राणी महल मालिया अठे रहेला,आखिरकर शमशान,मत ना भूले तूं भगवान।
ये रे मनवा पुरवला कर्मा सु मानुष मिलियो अबकी बार,मत ना भूल मुरख तिवार।
ये प्राणी पूरो रे लेखों लेसी थारो, उपरलो भगवान,थोड़ो करले शुकरत काम।
ये रे मनवा मानुष ना मिले दोबारा लख चौरासी माय,थोड़ो कर ले तूं विचार।
ये प्राणी भजन करया सु नहीं बिगडेलो थारो मिनख जमार,भज ले थोड़ो हरी को नाम।
ये रे मनवा दो दिन की जिंदगानी थारी मत कर मान गुमान, थोड़ा रट ले हरि को नाम।