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विविध भजन

Sun ghar shahar shahar ghar basti Kun suta Kun jage hai,शुन्न घर शहर, शहर घर बस्ती, कुण सुता कुण जागै है

शुन्न घर शहर, शहर घर बस्ती, कुण सुता कुण जागै है।

शुन्न घर शहर, शहर घर बस्ती, कुण सुता कुण जागै है।
लाल हमारा हम लालन के, हां तन सुता तन जागे है।

जल बिच कमल, कमल बिच कलिया, भंवर वासना लेता है।
पांचो चेला फिरै अकेला, हां अलख अलख जोगी करता है।

शुन्न घर शहर, शहर घर बस्ती,कुण सुता कुण जागै है।
लाल हमारा हम लालन के, हां तन सुता तन जागे है।



जीवत जोगी माया जोड़ी, मूवा पीछे माया माणी रै ।
खोज्या खबर पड़े घट भीतर, जोगारामजी की बाणी रै।

शुन्न घर शहर, शहर घर बस्ती,कुण सुता कुण जागै है।
लाल हमारा हम लालन के, हां तन सुता तन जागे है।



तपत कुण्ड पर तपसी तापै, तपसी तपस्या करता है।
काछ लंगोटा कुछ नही रखता, लम्बी माला भजता है।

शुन्न घर शहर, शहर घर बस्ती,कुण सुता कुण जागै है।
लाल हमारा हम लालन के, हां तन सुता तन जागे है।



एक अप्सरा आगै ऊबी, दूजी सुरमो सारै है
तीजी अप्सरा सेज बिछावै, परण्या नहीं कँवारा है।

शुन्न घर शहर, शहर घर बस्ती,कुण सुता कुण जागै है।
लाल हमारा हम लालन के, हां तन सुता तन जागे है।



एक पिलंग पर दोय नर सुत्या, कुण सौवे कुण जागै है।
च्यारुँ पाया दिवला जोया, चोर किस विध लागै है।

शुन्न घर शहर, शहर घर बस्ती,कुण सुता कुण जागै है।
लाल हमारा हम लालन के, हां तन सुता तन जागे है।



परण्या पेली पुत्र जलमिया , मात-पिता मन भाया है।
शरण मच्छेन्द्र जती गोरख बोल्या, एक अखंडी नै ध्याया है।

शुन्न घर शहर, शहर घर बस्ती,कुण सुता कुण जागै है।
लाल हमारा हम लालन के, हां तन सुता तन जागे है।

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