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विविध भजन

Manawa nahi bichari re thari Mari karta umar biti sari re,मनवा नहीं विचारी रे,थारी मारी करता उम्र,बीती सारी,

मनवा नहीं विचारी रे ।
थारी मारी करता उम्र,
बीती सारी रे ॥

मनवा नहीं विचारी रे,
मनवा नहीं विचारी रे ।
थारी मारी करता उम्र,
बीती सारी रे ॥

गरभवास में रक्षा कीनी,
सदा बिहारी रे ।
बाहर भेजो नाथ भगती,
करस्यूं थारी रे ॥
मनवा नहीं विचारी रे..

बालपणे में लाड लडायो,
माता थारी रे ।
तरूण भयो जब लागे घर की,
तिरिया प्यारी रे ॥
मनवा नहीं विचारी रे..

पाछे तू माया में लिपट्यो,
जुड़े संजारी रे ।
कोड़ी – कोड़ी खातिर लेतो,
राड़ उधारी रे ॥
मनवा नहीं विचारी रे..

जो कोई बोले बात ज्ञान की,
लागे खारी रे ।
जो कोई बोले भजन हरि रस,
देतो गाली रे ॥
मनवा नहीं विचारी रे..

वृद्ध भयो जब कहन लगी,
घर की नारी रे ।
कब मरसी ओ डैण छूटे,
गैल हमारी रे ॥
मनवा नहीं विचारी रे..

रुक गये कण्ठ दशों दरवाजा,
मच गई ध्यारी रे ।
पूंजी थी सो भई बिरानी,
भयो भिखारी रे ॥
मनवा नहीं विचारी रे..

कालूराम जी सीख दई सो,
लागी खारी रे ।
अब चौरासी भुगतो बन्दा,
करणी थारी रे ॥

मनवा नहीं विचारी रे,
मनवा नहीं विचारी रे ।
थारी मारी करता उम्र,
बीती सारी रे ॥

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