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विविध भजन

Jobaniyo jato riyo ab aayi budhapa ri war re,जोबनियो जातो रियो अब,आई बुढ़ापा री वार रे,

जोबनियो जातो रियो अब,
आई बुढ़ापा री वार रे ।

जोबनियो जातो रियो अब,
आई बुढ़ापा री वार रे ।
वे दिनड़ा जाता रया अब,
आई बुढ़ापा री वार रे ॥

जन्म्यो उंडी ओरियां जद,
बाज्या सोवणियां थाल रे ।
भुआ भतीजों हुलरावियो,
घर – घर मंगला चार रे ।
जोबनियो जातो रियो..

पाँच बरस रो होवियो,
दड़ियां रमवा जाय रे ।
नितरा लावतो ओलभा,
घर – घर री लावतो राड़ रे ॥
जोबनियो जातो रियो..

बरस पचीसों रो होवियो,
अब लारे लूम्बाली नार रे ।
टाबर – टूबर मोकला,
जिवड़ो पड्यो जंजाल रे ॥
जोबनियो जातो रियो..

भरी हथायां बैठता,
अब कोई न पूछे वात रे ।
हिंगलू ढोलिये पोढता,
अब नहीं माचलियो में वाण रे ॥
जोबनियो जातो रियो..

बहुआं छोड्या घूघटा,
अब बेटा छोड़ी काण रे ।
ऊना भोजन जीमता,
अब ठाडा टुकड़ा खाय रे ॥
जोबनियो जातो रियो..

जन्तर पड़गा जोजरा,
ढीला पड़िया हाड रे ।
जाट रूप जी बोलिया,
परा लबद री बात रे ॥

जोबनियो जातो रियो अब,
आई बुढ़ापा री वार रे ।
वे दिनड़ा जाता रया अब,
आई बुढ़ापा री वार रे ॥

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