पांच तत्त्व और तीन गुणा से ,
रचियो मंदिरियो।
रचियो मन्दिर बैठो अंदर ,
श्याम सुन्दरियो।
हरि भजवा रे काज बणायो ,
मोहन मंदिरियो।
राम भजन रे काज बणायो ,
ओ तन देवलियो।
नव दरवाजा खुला पड़ा है ,
दशमो बंद रयो।
दसवां में बल्ब लगाकर देखो ,
आणंद कंद रयो।
हरि भजवा रे काज बणायो ,
मोहन मंदिरियो।
पांच तत्त्व और तीन गुणा से ,
रचियो मंदिरियो।
रचियो मन्दिर बैठो अंदर ,
श्याम सुन्दरियो।
बिना जोत प्रकाश बिना ,
सूरज चंद रयो।
प्रकट देव दरशे नहीं रे ,
यु जग अंध रयो।
हरि भजवा रे काज बणायो ,
मोहन मंदिरियो।
पांच तत्त्व और तीन गुणा से ,
रचियो मंदिरियो।
रचियो मन्दिर बैठो अंदर ,
श्याम सुन्दरियो।
राम नाम से वे मुक्त प्राणी ,
मोह में फंद रयो।
भवानीनाथ सतगुरुजी शरणे ,
चरणे चित्त धरयो।
हरि भजवा रे काज बणायो ,
मोहन मंदिरियो।
पांच तत्त्व और तीन गुणा से ,
रचियो मंदिरियो।
रचियो मन्दिर बैठो अंदर ,
श्याम सुन्दरियो।