बन्दा थारी नींदड़ली ने निवार,
ओ तो जग झूठो है संसार ।
उगे सो ही आथमे जी,
फूले सो कुम्हलाय ।
चुणिया देवळ ढह पड़े जी,
जनमे सो मर जाय,
ओ तो जग झूठो है संसार ॥
सोने रा गढ़ कांगरा जी,
रूपेरा घर बार ।
रति एक सोनो नहीं मिल्यो रे,
रावण मरती वार ।
ओ तो जग झूठो है संसार ॥
बन्दा थारी नींदड़ली।
हाथां पर्वत तोलता जी,
ज्यांरो भूमि ना खिंवती भार ।
वे माणस माटी मिल्या रे,
ज्यांरा भांडा घड़े रे कुम्हार ।
ओ तो जग झूठो है संसार ।
बन्दा थारी नींदड़ली।
सेर – सेर सोनो पहरती जी,
मोत्यां मरती भार ।
घड़ियक झोलो वाजियो हो गई,
घर घर री पणियार।
ओ तो जगझूठो है संसार ।
बन्दा थारी नींदड़ली।
पाळी न चाली पांवड़ो जी,
चाली कोस हजार ।
काशी नगर रे चोंवटे जी,
अरे हरिचन्द बेची नार ।
ओ तो जग झूठो है संसार ॥
बन्दा थारी नींदड़ली।
जारां हँस हँस बोलता,
दिन में सौ सौ बार ।
वे माणस किण दिश गया,
सुरता करो विचार ।
ओ तो जग झूठो है संसार ॥
बन्दा थारी नींदड़ली।
दो अक्षर है प्रेम रा जी,
राम नाम तत्सार ।
काजी मे मद सा यूं भणे जी,
अरे केवल नाम आधार।
ओ तो जग झूठो है संसार ।।
बन्दा थारी नींदड़ली।
बन्दा थारी नींदड़ली ने निवार,
ओ तो जग झूठो है संसार ।
उगे सो ही आथमे जी,
फूले सो कुम्हलाय ।
चुणिया देवळ ढह पड़े जी,
जनमे सो मर जाय,
ओ तो जग झूठो है संसार ॥