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विविध भजन

Ek mandir me pach saheli aapas me batlawe,एक मंदिर में पांच सहेली आपस में बतलावे।

एक मंदिर में पांच सहेली आपस में बतलावे।

एक मंदिर में पांच सहेली आपस में बतलावे
हम सब में से कौन बड़ी है यही समझ ना आव।
जय जय कृष्ण हरि,जय जय कृष्ण हरि।

प्रीत बोली मैं हूं बड़ी मैं सबको अपना बनाऊं।
प्रेम भरे वचनों से सबके दिल में जगह बनाऊ।
जय जय कृष्ण हरि,जय जय कृष्ण हरि।

लक्ष्मी बोली मैं हूं बड़ी सब है मेरे बिना खाली।
जिस घर में मैं रहती हूं उस घर में होती है खुशहाली।
जय जय कृष्ण हरि,जय जय कृष्ण हरि।

किस्मत बोली मैं हूं बड़ी सबकी किस्मत की चाबी।
जिस घर में रहती हूं उसको मिलती कामयाबी।
जय जय कृष्ण हरि,जय जय कृष्ण हरि।

बुद्धि बोली मैं हूं बड़ी सब बिगड़े काम बनादू।
अभिमानी लोगों के सर पैरों में झुका दू।
जय जय कृष्ण हरि,जय जय कृष्ण हरि।

होनी बोली मैं हूं बड़ी मुझसे बुरा ना कोई
जिस घर में मैं चली जाऊं वहां हाहाकार होय।
जय जय कृष्ण हरि,जय जय कृष्ण हरि।

मंदिर अंदर भगवन बैठे कान लगाकर सुन रहे।
उन सखियों की बातों को वह ध्यान लगाकर सुन रहे।
जय जय कृष्ण हरि,जय जय कृष्ण हरि।

भगवान बोले तुम सबके अपने गुण है। पर मेरे हाथ में डोर तुम सबकी हैजय जय कृष्ण हरि,जय जय कृष्ण हरि।

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