दर पर तुम्हारे आया ठुकराओं या उठा लो।
दर पर तुम्हारे आया ठुकराओ या उठा लो। करुणा की सिंधु मालिक, अपनी बिरद बचालो।
मीरा या सबरी जैसा, पाया हृदय न मैंने ।जो है दिया तुम्हारा, लो अब इसे संभालो।
दर पर तुम्हारे आया, ठुकराओ या उठा लो।करुणा की सिंधु मालिक, अपनी बिरद बचालो।
दिन रात अपना अपना करके बहुत ठगाया। कोई हुआ न अपना अपना मुझे बना लो।
दर पर तुम्हारे आया, ठुकराओं या उठा लो।करुणा की सिंधु मालिक, अपनी बिरद बचालो।
दोषी हूं मै या सच्चा, ये खेल है तुम्हारा। हो तुम चाहे जो चाहो में दास हूं तुम्हारा।।
दर पर तुम्हारे आया, ठुकराओं या उठा लो।करुणा की सिंधु मालिक, अपनी बिरद बचालो।
बस याद अपनी दे दो, सब कुछ भले ही ले लो।पर मुझ पर अब, करुणा की दृस्टि डालो। दर पर तुम्हारे आया, ठुकराओ या उठा लो।
दर पर तुम्हारे आया ठुकराओ या उठा लो करुणा की सिंधु मालिक, अपनी बिरद बचा लो