तर्ज,मुझे आई ना जग से लाज
तुम कहाँ गये गणराज, तुम्हे ढूंढ रहा जग आज,
तुम लौट के आओ ना, गजानन तुम लौट के आओ ना।
हाथ जोड़ के तुम्हे मनाऊ, मोतीचूर का भोग लगाऊ।
तुम गौरा के हो बड़े लाडले, माँ गौरा की कसम चढाऊ।
मोरी सुन लो अरज महाराज, तुम हो देवो के सरताज,तुम लौट के आओ ना, गजानन तुम लौट के आओ ना।
तुम कहाँ गये गणराज, तुम्हे ढूंढ रहा जग आज,
तुम लौट के आओ ना, गजानन तुम लौट के आओ ना।
रिद्धि सिद्धि के तुम हो दाता, हरो हमारे कष्ट विधाता।
हम अज्ञानी मुरख बड़े है, पूजन अर्चन कुछ नही आता। गिरी हमपे दु:खो कि गाज, भगतो की बचाओ लाज, तुम लौट के आओ ना, गजानन तुम लौट के आओ ना।
तुम कहाँ गये गणराज, तुम्हे ढूंढ रहा जग आज,
तुम लौट के आओ ना, गजानन तुम लौट के आओ ना।
तुम कहाँ गये गणराज, तुम्हे ढूंढ रहा जग आज,
तुम लौट के आओ ना, गजानन तुम लौट के आओ ना।